परमेश्वर और साइंस एक बहुत ही अलग अलग विष रहा है लोग सोचते है ,,,पर यह बात ऐसा नहीं है धर्म और साइंस अलग अलग नहीं है पर असल में परमेश्वर ने ही अपने हुकम से सृष्टि की रचना की है और यह रचना भी एक पर्कार के ज्ञान से हुई है। और यही ज्ञान अज्ज हम इसकी खोज कर रहे है। और यही खोज को आज साइंस कहते है पर हम यह नहीं जानते है की इस विज्ञान को सबसे पहले पैदा किसने किया है और उसको वो रूल्स किसने प्रदान किये है। नास्तिक लोग हमेशा पर्किर्ति को ही सबसे बड़ी शक्ति मानते है ,पर और वो यह नहीं जानते है की पर्किर्ति को यह शक्ति कौन प्रदान करता है ,पर्किर्ति को यह शक्ति परमेश्वर ही प्रदान करता है क्योकि सब उससे ही तो पैदा हुआ है। जब कुश विज्ञान की खोज करने वाले यह नहीं मानते है की हम तो सिर्फ परमेश्वर की बनायीं हुए सृस्टि निजामों की खोज ही कर रहे है पर यह नहीं जानते को ग्रेविटी और सूरज में तेज यह किस पर्कार होता है। धरती की दूरी भी बहुत सटीक है पूरी पूरी न बहुत ज्यादा न बहुत कम होती है और यह करने के लिए हमेशा ही ऐसी चेतना जरुरत पड़ती है और ऐसी चेतना किसी दिमाग वाले की हो सकती है और यह एक बहुत बड़ी चेतना का ही कमल है ,,,उसी कोई सृष्टि का करता कहा जाता है। और यही करता परमेश्वर उसको कहा जाता है उसी से सृष्टि उत्पन होती है और उसी में सृष्टि ले हो जाती है इसी लिए अरमेश्वर को जानना और मन्ना से फरक पड़ता है क्योकि परमेश्वर को जानने का साधन है बस एक मात्र है जो सिर्फ ज्ञान है और कुश भी नहीं है जब दुनिया के सभी काम हम ज्ञान के माध्यम से ही सम्पूर्ण कर ते है तो परमेश्वर को जानने का कार्य भी बिना ज्ञान से होना कैसे सम्भव है यही धर्म का सार है
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