क्या करम सिद्धांत सही है हम बार बार इस बात पर सोच रहते है की करम सिद्धांत क या सही है पर असल में हमें यह नहीं प ता है की करम असल में कहा किसे जा जाता है ,,,,,,पर असल में हमें यह नहीं पता है की दुनिया में जो कुश भी हो रहा है सब ही तो परमश्ेवर की ईशा से हो रहा है असल में मन की सोच करम कहा जाता है क्योकि जो हमारे मन की सोच होती है उसी पर्कार ही हमारे विचार चलते है ,पर बाहर जो कुश हो रहा है वो सब हमारी ईशा से नहीं अपितु परमेश्वर की ईशा से ही हो रहा है ,दिन और रात हम नहीं करते और और भी बहुत सी चीजे हम नहीं करते है और दोनों ही में काफी अंतर है ,,,,,,,,हम सिर्फ सोच ही सकते है पर उस सोच की तब्दीली हमारे बस में नहीं होती है अगर होती तो सब कुश यहाँ पर हमारी ही ईशा से होता पर ऐसा विल्कुल नहीं है क्योकि संसार में न तो हम कुश ऐसा कर रहे है और न ही हमारे करने से कभी कुश होगा यह सब ही भरम जाल है ,,,,,,पाप और पुण्य में फसे हुए जीव की तो मुक्ति सम्भव ही नहीं है ,,,,,,,,सब जीवो की ऐसी हालत क्यों है क्यों ज्ञान के लेवल को बढ़ाने हर एक की हालत अलग अलग है किसी को किसी तरह से परमेश्वर ज्ञान करवा रहा है और किसी को वो किसी तरह से सव उसी के हुकम से हो रहा है।
No comments:
Post a Comment